वीर सावरकर (Veer Savarkar) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक सुधारक, दरबारी कवि और राजनेता थे। उन्हे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में से एक माना जाता है और वे हिंदी राष्ट्रीयता के प्रमुख प्रवर्तकों में से एक हैं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने संगठनिक कौशल, धैर्य और साहस के लिए प्रसिद्ध हुए।
सावरकर 28 मई 1883 को महाराष्ट्र प्रांत के भागलपुर गांव में जन्मे। उनके पिता का नाम दामोदर पंत था और माता का नाम राधाबाई था। सावरकर का बचपन मुंबई में बिता। उन्होंने विद्यालयी शिक्षा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पूरी की, और उनका अध्ययन वर्ष 1901 में फर्स्ट क्लास में पूरा हुआ।
सावरकर ने विद्यार्थी जीवन में ही स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया था। उन्होंने मित्र गणेश दमोदर सावरकर के साथ एक संगठन बनाई थी, जिसका नाम "अभिनव भारत सभा" था। इस संगठन के माध्यम से सावरकर ने देशभ
क्ति और स्वावलंबन के मुद्दों पर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया।
सावरकर को उनकी लेखनी के माध्यम से भी मशहूरत मिली। उन्होंने नामकरण में "वीर" शब्द को अपने नाम के पहले जोड़ा था, जिससे उनका नाम "वीर सावरकर" हुआ। उनके लेखों और पत्रों में वे भारतीय राष्ट्रीयता, हिंदुत्व, स्वावलंबन और स्वतंत्रता संग्राम के मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते थे।
वीर सावरकर का विचारधारा महासत्ता के पक्षपाती नहीं था, उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय के मामलों पर भी अपनी विचारधारा व्यक्त की थी। उन्होंने महाराष्ट्र से शिक्षा प्राप्त करने के बाद लंदन जाकर बरिस्टरी की थी।
सावरकर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया है, उन्होंने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में आदान-प्रदान के दौरान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए जाने जाते हैं जहां उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना किया।
वीर सावरकर के विचार और योग
दान के बावजूद, उनके बारे में अलग-अलग मत रखे जाते हैं। कुछ लोग उन्हें एक महान देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मानते हैं, जबकि कुछ उनके विचारों को विवादास्पद मानते हैं। उनके बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप संबंधित पुस्तकें, लेख और अन्य स्रोतों से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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