20 मई/पुण्य-तिथि
स्वदेशी आन्दोलन के प्रवर्तक विपिन चन्द्र पाल
विपिनचन्द्र प्रारम्भ से ही खुले विचारों के व्यक्ति थे। 1877 में वे ब्रह्मसमाज की सभाओं में जाने लगे। इससे इनके पिताजी बहुत नाराज हुए; पर विपिनचन्द्र अपने काम में लगे रहे। शिक्षा पूरी कर वे एक विद्यालय में प्रधानाचार्य बन गये। लेखन और पत्रकारिता में रुचि होने के कारण उन्होंने श्रीहट्ट तथा कोलकाता से प्रकाशित होने वाले पत्रों में सम्पादक का कार्य किया। इसके बाद वे लाहौर जाकर ‘ट्रिब्यून’ पत्र में सहसम्पादक बन गये। लाहौर में उनका सम्पर्क पंजाब केसरी लाला लाजपतराय से हुआ। उनके तेजस्वी जीवन व विचारों का विपिनचन्द्र के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा।

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